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Jagannath Rath Yatra This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Jagannath Rath Yatra

भारत के चार धाम हैं- बद्रीनाथ, द्वारका, जग्गनाथ पुरी और रामेश्वरम। उड़ीसा के भुवनेश्वर में, बंगाल की खाड़ी के किनारे, पुरी के मंदिरों में, भगवान जगन्नाथ का मंदिर बसा है। भारत के इस प्रसिद्ध मंदिर की रथ यात्रा, आज शुरू हो रही है। ये यात्रा हर साल, आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि को आरंभ होती है। इसके इतिहास की कहानी काफी पुरानी है। ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण और कपिला संहिता में भी, इसका जिक्र मिलता है। इसे लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ लोगों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ साल में एक बार, अपने भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ अपने जन्मस्थान मथुरा जाने की इच्छा रखते थे, ताकि वो उन्हें रथ में बिठाकर, पूरी मथुरा दिखा सकें। एक कथा ये भी है। कि भगवान कृष्ण और बलराम को मारने के लिए उनके मामा कंस ने उन्हें मथुरा आमंत्रित किया। और अक्रूर को रथ के साथ गोकुल भेजा था।

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स्थानीय परंपरा के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को 108 घड़ों के जल से स्नान करवाया जाता है। इस स्नान के कारण वो बीमार हो जाते हैं। इसलिए अगले 15 दिन तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। और उसके बाद शुरू होती है जगन्नाथ रथ यात्रा। लोग, भगवान कृष्ण और उनके दो भाई-बहनों की मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाते हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर से, गुंडिचा मंदिर की दूरी लगभग 3 किमी है। आमतौर पर, भगवान के दर्शन के लिए, भक्त मंदिरों में जाते हैं। लेकिन यहां भक्तों को दर्शन देने के लिए, भगवान स्वयं मंदिर से बाहर आते हैं। तीनों रथ लकड़ी के बने हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ के 16 पहिए हैं, जबकि भगवान बलभद्र के रथ में 14 पहिए और देवी सुभद्रा के रथ में 12 पहिए हैं। इन रथों को, 50 मीटर लंबी रस्सी से, भक्त खींचते हैं।

गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद, देवता 9 दिन वहीं निवास करते हैं। वापसी की यात्रा को बहुदा यात्रा कहा जाता है। वापसी में, ये रथ - मौसी माँ मंदिर में रुकते हैं, जहाँ देवताओं को पोडा पीठा, यानी एक प्रकार का मीठा पैनकेक परोसा जाता है। इसकी एक और खासियत छेरा पहरा है। यानी पुरी के राजा इन रथों को सोने की झाडू से झाड़ते हैं और भगवान जगन्नाथ के सम्मान में चंदन का पानी और फूल छिड़कते हैं। ये इस बात का प्रतीक है, कि ईश्वर के संसार में, राजा भी एक सेवक है। आज, जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में, आप सभी श्रद्धालुओं को बहुत बधाई।